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भारतीय संविधान की प्रस्तावना | bhartiya sanvidhan ki prastavana

प्रस्तावना (Preamble) का मतलब यह है कि किसी भी लिखित दस्तावेज के बारे में कम शब्दों में परिचय कराना। यानी की प्रस्तावना संविधान में लिखी पूरी बातों को और उसके उद्देश्यों से परिचय कराता है

हम आजाद भारत देश में रहते हैं। भारत जब ब्रिटिश शासन से आजाद हुआ तो भारत देश को चलाने के लिए एक संविधान का निर्माण किया गया था। संविधान का मतलब है कि लिखित रूप में किसी भी देश को चलाने के लिए उसकी दिशा निर्देश किसी दस्तावेज में लिखी हो। वैसे ही भारत का भी एक लिखित संविधान है जो कि विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। संविधान का एक प्रस्तावना भी लिखित रूप में होता है। तो आज हम इस लेख में प्रस्तावना क्या है, संविधान की प्रस्तावना,

भारतीय संविधान की प्रस्तावना, भारतीय संविधान के प्रस्तावना का महत्व, प्रस्तावना कहां से लिया गया है, प्रस्तावना कब लागू हुई, प्रस्तावना की विशेषता, प्रस्तावना का उद्देश्य क्या है, प्रस्तावना में कितने शब्द हैं, प्रस्तावना का दूसरा नाम क्या है, कुल मिलाकर प्रस्तावना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी बताने वाले हैं तो स्वागत है आपका Nayiidea.com तो इस लेख को आखिरी तक पढ़े ताकि आप भी प्रस्तावना के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सके।

Table of Contents

प्रस्तावना क्या है?

प्रस्तावना (Preamble) क्या है यह जानने से पहले हमें यह जान लेना चाहिए की किसी देश को चलाने के लिए एक संविधान होता है वैसे ही भारत का भी एक लिखित संविधान है। प्रस्तावना भी संविधान से ही जुड़ा हुआ है। प्रस्तावना (Preamble) का मतलब यह है कि किसी भी लिखित दस्तावेज के बारे में कम शब्दों में परिचय कराना। यानी की प्रस्तावना संविधान में लिखी पूरी बातों को और उसके उद्देश्यों से परिचय कराता है।

संविधान की प्रस्तावना?

संविधान की प्रस्तावना का शुरुआत सर्वप्रथम अमेरिकी संविधान से सम्मिलित करके किया गया था। इसके बाद कई देशों ने प्रस्तावना को अपनाया और अपने संविधान में सम्मिलित किया। संविधान में प्रस्तावना सम्मिलित करने वाले देश में भारत भी शामिल है। प्रस्तावना संविधान के परिचय अथवा उसकी भूमिका को कहते हैं। प्रस्तावना में संविधान का पूरा सार होता है। जाने-माने न्यायाविद व संवैधानिक विशेषज्ञ एन. ए. पालकीवाला ने प्रस्तावना को संविधान का परिचय पत्र कहां है।हमारे भारत देश का भारतीय संविधान की प्रस्तावना पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा बनाया गया और पेश किया गया और संविधान सभा द्वारा अपनाए गए उद्देश्य प्रस्ताव पर आधारित किया गया है। प्रस्तावना को संशोधित भी किया जा सकता है इसे 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा संशोधित किया गया था जिसमें समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और अखंडता, शब्द सम्मिलित किए गए थे। भारतीय संविधान की प्रस्तावना को “भारतीय संविधान की आत्मा” भी कहा जाता है।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना?

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भारत के संविधान (Preamble of Indian Constitution) के प्रस्तावना को इस प्रकार पढ़ा जाता है।

हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष,लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय,विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए,तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई० (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

प्रस्तावना के तत्व

भारतीय संविधान के प्रस्तावना में चार मूल तत्व हैं 1.संविधान के अधिकार का स्रोत, 2. भारत की प्रकृति, 3. संविधान के उद्देश्य, 4. संविधान लागू होने की तिथि।

1.संविधान के अधिकार का स्रोत – भारत के संविधान की प्रस्तावना कहती है कि संविधान भारत के लोगों से शक्ति अधिग्रहित करता है।

2. भारत की प्रकृति – प्रस्तावना या घोषणा करती है कि भारत एक संप्रभुत्व, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक एवं गणतंत्र राज्य व्यवस्था वाला देश है।

3. संविधान के उद्देश्य – प्रस्तावना के अनुसार न्याय स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व संविधान के मुख्य उद्देश्य हैं।

4. संविधान लागू होने की तिथि – प्रस्तावना के तत्व में 26 नवंबर 1949 की तिथि का उल्लेख करती है।

प्रस्तावना कहां से लिया गया है?

आपके मन में यह सवाल जरूर होगा की प्रस्तावना कहां से लिया गया है या फिर आपको जानने की इच्छा होगी की प्रस्तावना कहां से लिया गया है। आपकी जानकारी के लिए बता की भारत की प्रस्तावना का ख्याल अमेरिका के प्रस्तावना से आया है यानी कि भारत का संविधान का प्रस्तावना का विचार अमेरिका के संविधान से लिया गया है। लेकिन प्रस्तावना में भाषा को भी लिया गया है जो कि वह ऑस्ट्रेलिया के संविधान से लिया गया है। भारत के संविधान की प्रस्तावना पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने तैयार की थी।

प्रस्तावना कब लागू हुई?

भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ। लेकिन प्रभावी 26 जनवरी 1950 से हुआ। लेकिन संविधान पारित और प्रभावी होने से पहले ही प्रस्तावना लागू हो गई थी । भारत के संविधान की प्रस्तावना 13 जनवरी 1946 ईस्वी को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत की गई थी। लेकिन संविधान की प्रस्तावना को 22 जनवरी 1947 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और लागू की गई

प्रस्तावना का उद्देश्य क्या है?

भारत के संविधान के प्रस्तावना का मुख्य उद्देश्य भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनाना और सभी भारतीयों को सामाजिक आर्थिक राजनीतिक न्याय विचार अभिव्यक्ति और धर्म विश्वास व उपासना की स्वतंत्रता प्रधान करना और अवसर की समता को प्राप्त करना। एवं किसी भी व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता को सुनिश्चित कराना तथा बंधुत्व भाईचारा बढ़ाना प्रस्तावना का मुख्य उद्देश्य है।

प्रस्तावना का जनक कौन है?

जब भारत का संविधान अब 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हुई जिसको बनाने में लगा समय 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे थे। भारत विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है और भारत का संविधान का जनक भीमराव अंबेडकर को कहा जाता है। भारत का संविधान का प्रस्तावना भी एक लिखित दस्तावेज के रूप में है। प्रस्तावना के लेखक भी भीमराव अंबेडकर को ही माना जाता है। संविधान की प्रस्तावना पूरे संविधान का प्रमुख आधार है।

प्रस्तावना में मुख्य शब्द?

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में कुछ मुख्य शब्दों का उल्लेख किया गया है जिसके बारे में नहीं पता है कि इन शब्दों का अर्थ क्या है। मुख्य शब्द जो प्रस्तावना में उल्लेखित किया गया है। जैसे – संप्रभुता, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य, न्याय, स्वतंत्रता, समता, व बंधुत्व इन सभी शब्दों का अर्थ जानेंगे जो संविधान में मुख्य शब्द हैं

1. संप्रभुता

संप्रभुता शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के (Superanus) शब्द से जिसका अर्थ है सर्वोच्च सत्ता यानी कि सबसे अच्छा नेतृत्व संप्रभुता शब्द का आशय है कि भारत ना तो किसी अन्य देश पर निर्भर है और ना ही किसी अन्य देश का डोमिनियन है।

2. समाजवादी

समाजवादी अर्थ यह है कि धन-संपत्ति स्वामित्व और वितरण समाज के नियंत्रण के अधीन रहते हैं आर्थिक सामाजिक और वैचारिक प्रत्यय के तौर पर समाजवाद निजी संपत्ति पर आधारित अधिकारों का विरोध करता है।

3. धर्मनिरपेक्ष

भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष है । धर्मनिरपेक्ष से तात्पर्य यह है कि देश में जितने भी धर्म हैं उन सभी धर्म का सरकार का समान समर्थन प्राप्त है यानी कि सभी धर्म के लोग सरकार की नजर में एक बराबर है।

4. लोकतांत्रिक

संविधान की प्रस्तावना में लोकतांत्रिक शब्द का उल्लेखित किया गया है। लोकतांत्रिक से तात्पर्य यह है कि राज्य व्यवस्था की परिकल्पना की गई है यह प्रचलित संप्रभुता के सिद्धांत पर आधारित है अर्थात सर्वोच्च शक्ति जनता के हाथ में होती है। जिसमें अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि सर्वोच्च शक्ति का इस्तेमाल करते हैं और सरकार चलाते हैं लोकतंत्र को प्रतिनिधि लोकतंत्र भी कहा जाता है यह दो प्रकार के संसदीय और राष्ट्रपति के अधीन होता है ।

5. गणतंत्र

प्रस्तावना में गणतंत्र शब्द का उल्लेख किया गया है जिसका मतलब यह होता है कि गणतंत्र में राज्य प्रमुख हमेशा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से एक निश्चित समय के लिए चुनकर आता है। जैसे कि भारत में प्रत्येक 5 वर्षों में चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है।

6. न्याय

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में न्याय तीन रूप में शामिल है सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक,

सामाजिक न्याय का अर्थ – है यानि कि किसी व्यक्ति के साथ जाति रंग धर्म लिंग के आधार पर बिना भेदभाव किए समान व्यवहार व इज्जत देना।

आर्थिक न्याय से तात्पर्य – यह है कि आर्थिक कारण के आधार पर किसी भी व्यक्ति से भेदभाव नहीं किया जाएगा जिसमें संपत्ति आय व संपदा को दूर करना भी शामिल है।

वही राजनीतिक न्याय का अर्थ – है कि किसी भी व्यक्ति को राजनीति में समान अधिकार प्राप्त होंगे। चाहे राजनीति में प्रवेश की बात हो या फिर सरकार तक अपने अधिकार की बात को पहुंचाने का अधिकार।

7. स्वतंत्रता

प्रस्तावना में स्वतंत्रता शब्द का उल्लेख किया गया है जिसका अर्थ यह है कि लोगों की गतिविधियों पर किसी भी प्रकार की रोक तो की अनुपस्थिति तथा साथ ही व्यक्ति के विकास के लिए अवसर प्रदान करना यानी कि वह स्वतंत्र रूप से अपने विकास के लिए कार्य कर सकता है।

8. समता

प्रस्तावना में समता शब्द का भी उल्लेख किया गया। समता का अर्थ है समाज के किसी भी वर्ग के लिए विशेष अधिकारों की अनुपस्थिति और बिना किसी भेदभाव के हर व्यक्ति को समान अवसर प्रदान करना

9. बंधुत्व

प्रस्तावना में बंधुत्व शब्द उल्लेखित किया गया है जिसका अर्थ है भाईचारे की भावना संविधान एकल नागरिकता के एक तंत्र के माध्यम से भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करता है। यानी कि कहना चाहता है कि सभी लोग चाहे कोई भी धर्म के हो सभी भाईचारे के साथ रहे।

FAQs People also ask

Q-1. संविधान निर्माताओं ने किस पर विशेष ध्यान दिया था?

  • प्रस्तावना पर

Q-2. संविधान के अंतर्गत भारतीय लोकतंत्र के आदर्शों को हम कहां देख सकते हैं?

  • प्रस्तावना

Q-3.भारतीय संविधान की आत्मा किसे कहा जाता है?

  • प्रस्तावना

Q-4. भारतीय संविधान किसके द्वारा स्वीकृत किया गया है?

  • भारत की जनता द्वारा

Q-5. धर्म निरपेक्ष का अर्थ क्या है?

  • सभी धर्मों का महत्व स्वीकार करना

Q-6. संविधान का प्रस्तावना कहां से लिया गया है?

  • विचार अमेरिका से और भाषा ऑस्ट्रेलिया से

Q-7. प्रस्तावना का दूसरा नाम क्या है?

  • प्रस्तावना का दूसरा नाम उद्देशिका है।

Q-8. प्रस्तावना किसने लिखी है?

  • पंडित जवाहरलाल नेहरू ने

Q-9. प्रस्तावना कितनी बार बदली गई है?

  • 1 बार 1976 – 42 वें संशोधन

Q-10. प्रस्तावना में कितने अध्याय हैं?

  • प्रस्तावना में चार अध्याय हैं

Q-11. प्रस्तावना में कौन सा तीन शब्द जोड़े गए हैं?

  • समाजवादी,धर्मनिरपेक्ष और अखंडता

Q-12. प्रस्तावना कब बनी?

  • 13 दिसंबर 1946

Q-13. प्रस्तावना कब लागू हुई?

  • 13 दिसंबर 1946

Conclusion

तो दोस्तों आशा करता हूं आपको Sanvidhan Ki Prastavana के बारे में अच्छे से जानकारी मिल गई होगी अगर यह पोस्ट अच्छा लगा होगा और यह पोस्ट पढ़ने के बाद आप भी Bhartiya Sanvidhan Ki Prastavana जान गए होंगे और भी अधिक जानकारी के लिए आप हमें कमेंट भी कर सकते हैं इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद All THE BEST जय हिंद जय भारत

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