Biography

Mahatma Gandhi Biography in Hindi | महात्मा गांधी का जीवन परिचय

Mahatma Gandhi biography,Gandhi Jayanti 2023,mahatma gandhi biography, mahatma gandhi biography in hindi,mahatma gandhi age at death, mahatma gandhi born and death, mahatma gandhi birth anniversary speech, mahatma gandhi an autobiography,write a biography of mahatma gandhi, mahatma gandhi biography conclusion, mahatma gandhi complete biography,mahatma gandhi biography death, mahatma gandhi born date, mahatma gandhi biography hindi, mahatma gandhi biography hindi

Mahatma Gandhi Biography in Hindi दोस्तों स्वागत है आपका NAYIIDEA.COM में आज हम जानने वाले हैं महात्मा गांधी जी के बारे में महात्मा गांधी की 154वीं जयंती 02 अक्टूबर 2023 को यानि आज है। आज ही के दिन 2 अक्टूबर 1869 को गांधी जी का जन्म हुआ था तो इस पोस्ट में जानने वाले हैं महात्मा गांधी जी से संबंधित प्रमुख बातों को और उनकी जीवनी को Mahatma Gandhi Biography in Hindi को जानेंगे।

आज हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं, वो इसलिए क्योंकि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi ने अपने अथक प्रयासों के बल पर अंग्रेजो से भारत को आजाद कराया यही नहीं इस महापुरुष ने अपना पूरा जीवन राष्ट्रहित में लगा दिया। महात्मा गांधी की कुर्बानी की मिसाल आज भी दी जाती है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi के पास सत्य और अहिंसा दो हथियार थे जिन्होनें इसे भयावह और बेहद कठिन परिस्थितयों में अपनाया शांति के मार्ग पर चलकर इन्होनें न सिर्फ बड़े से बड़े आंदोलनों में आसानी से जीत हासिल की बल्कि बाकी लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी बने।

महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता और बापू जी के नामों से भी पुकारा जाता है। वे सादा जीवन, उच्च विचार की सोच वाली शख्सियत थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन सदाचार में गुजारा और अपनी पूरी जिंदगी राष्ट्रहित में कुर्बान कर दी। उन्होनें अपने व्यक्तित्व का प्रभाव न सिर्फ भारत में ही बल्कि पूरी दुनिया में डाला। महात्मा गांधी महानायक थे जिनके कार्यों की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। Mahatma Gandhi- महात्मा गांधी कोई भी फॉर्मुला पहले खुद पर अपनाते थे और फिर अपनी गलतियों से सीख लेने की कोशिश करते थे। आज हम गांधी जी के जीवन परिचय Mahatma Gandhi Biography को जानेंगे  

Table of Contents

गांधी जी के जीवन परिचय- Mahatma Gandhi Biography in Hindi

Mahatma Gandhi Ka Janm Kab Hua2 अक्टूबर 1869 पोरबन्दर
मृत्यु – 30 जनवरी 1948 गाँधी स्मृति
मृत्यु का कारणमानव हत्या[ बैलिस्टिक आघात
जातीयतागुजराती
नागरिकताब्रिटिश राज भारतीय अधिराज्य
शिक्षाअल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट, यूनिवर्सिटी कॉलेज, लन्दन
व्यवसायव्यवसाय राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर,पत्रकार,दार्शनिक,निबंधकार,संस्मरण लेखक, क्रांतिकारी, लेखक
ऊंचाई164 CM
राजनैतिक पार्टीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
धार्मिक मान्यताहिन्दू धर्म
जीवनसाथीकस्तूरबा गाँधी
बच्चेहरिलाल मोहनदास गाँधी,- मणिलाल गाँधी,- रामदास गाँधी,- देवदास गाँधी
माता-पितामाता-पिता करमचंद गाँधी – पुतलीबाई करमचंद गाँधी

जन्म, बचपन, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन – Mahatma Gandhi Ka Janm Kab Hua

Mahatma Gandhi Ka Janm Kab Hua – देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबन्दर में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता करमचन्द गांधी ब्रिटिश हुकूमत के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, उनके महान विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

महात्मा गांधी जी का विवाह एवं बच्चे

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) जी जब 13 साल के थे, तब बाल विवाह की कुप्रथा के तहत उनका विवाह एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा मनकजी के साथ कर दिया गया था। कस्तूरबा जी भी एक बेहद शांत और सौम्य स्वभाव की महिला थी। शादी के बाद उन दोनो कोचार पुत्र हुए थे, जिनका नाम हरिलाल गांधी, रामदास गांधी, देवदास गांधी एवं मणिलाल गांधी था।

विदेश में शिक्षा वकालत

Mahatma Gandhi Biography in Hindi – मोहनदास अपने परिवार में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे थे इसलिए उनके परिवार वाले ऐसा मानते थे कि वह अपने पिता और चाचा का उत्तराधिकारी (दीवान) बन सकते थे। उनके एक परिवारक मित्र मावजी दवे ने ऐसी सलाह दी कि एक बार मोहनदास लन्दन से बैरिस्टर बन जाएँ तो उनको आसानी से दीवान की पदवी मिल सकती थी। उनकी माता पुतलीबाई और परिवार के अन्य सदस्यों ने उनके विदेश जाने के विचार का विरोध किया पर मोहनदास के आस्वासन पर राज़ी हो गए। वर्ष 1888 में मोहनदास यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये इंग्लैंड चले गये। अपने माँ को दिए गए वचन के अनुसार ही उन्होंने लन्दन में अपना वक़्त गुजारा। वहां उन्हें शाकाहारी खाने से सम्बंधित बहुत कठिनाई हुई और शुरूआती दिनो में कई बार भूखे ही रहना पड़ता था।

धीरे-धीरे उन्होंने शाकाहारी भोजन वाले रेस्टोरेंट्स के बारे में पता लगा लिया। इसके बाद उन्होंने ‘वेजीटेरियन सोसाइटी’ की सदस्यता भी ग्रहण कर ली। इस सोसाइटी के कुछ सदस्य थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्य भी थे और उन्होंने मोहनदास को गीता पढने का सुझाव दिया। जून 1891 में गाँधी भारत लौट गए और वहां जाकर उन्हें अपनी मां के मौत के बारे में पता चला। उन्होंने बॉम्बे में वकालत की शुरुआत की पर उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। इसके बाद वो राजकोट चले गए जहाँ उन्होंने जरूरतमन्दों के लिये मुकदमे की अर्जियाँ लिखने का कार्य शुरू कर दिया परन्तु कुछ समय बाद उन्हें यह काम भी छोड़ना पड़ा आख़िरकार सन् 1893 में एक भारतीय फर्म से नेटल (दक्षिण अफ्रीका) में एक वर्ष के करार पर वकालत का कार्य स्वीकार कर लिया।

गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका में (1893-1914)

गाँधी 24 साल की उम्र में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे। वह प्रिटोरिया स्थित कुछ भारतीय व्यापारियों के न्यायिक सलाहकार के तौर पर वहां गए थे। उन्होंने अपने जीवन के 21 साल दक्षिण अफ्रीका में बिताये जहाँ उनके राजनैतिक विचार और नेतृत्व कौशल का विकास हुआ। दक्षिण अफ्रीका में उनको गंभीर नस्ली भेदभाव का सामना करना पड़ा। एक बार ट्रेन में प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बाद तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इन्कार करने के कारण उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया। ये सारी घटनाएँ उनके के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ बन गईं और मौजूदा सामाजिक और राजनैतिक अन्याय के प्रति जागरुकता का कारण बनीं। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अन्याय को देखते हुए उनके मन में ब्रिटिश साम्राज्य के अन्तर्गत भारतियों के सम्मान तथा स्वयं अपनी पहचान से सम्बंधित प्रश्न उठने लगे।

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी (Mahatma Gandhi ) जी ने भारतियों को अपने राजनैतिक और सामाजिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया । उन्होंने भारतियों की नागरिकता सम्बंधित मुद्दे को भी दक्षिण अफ़्रीकी सरकार के सामने उठाया और सन 1906 के ज़ुलु युद्ध में भारतीयों को भर्ती करने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों को सक्रिय रूप से प्रेरित किया। गाँधी के अनुसार अपनी नागरिकता के दावों को कानूनी जामा पहनाने के लिए भारतीयों को ब्रिटिश युद्ध प्रयासों में सहयोग देना चाहिए।

यह भी पढ़े – How to Link Mobile Number To Aadhar Card Online

Elon musk biography in hindiTop 10 Superhit South Indian Movies

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष (1916-1945) –

वर्ष 1914 में गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौट आये। इस समय तक गांधी एक राष्ट्रवादी नेता और संयोजक के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके थे। वह उदारवादी कांग्रेस नेता गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर भारत आये थे और शुरूआती दौर में गाँधी के विचार बहुत हद तक गोखले के विचारों से प्रभावित थे। प्रारंभ में गाँधी ने देश के विभिन्न भागों का दौरा किया और राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक महों को समझने की कोशिश की।

चम्पारण और खेड़ा सत्याग्रह

बिहार के चम्पारण और गुजरात के खेड़ा में हुए आंदोलनों ने गाँधी (Mahatma Gandhi) को भारत में पहली राजनैतिक सफलता दिलाई। चंपारण में ब्रिटिश ज़मींदार किसानों को खाद्य फसलों की बजाए नील की खेती करने के लिए मजबूर करते थे और सस्ते मूल्य पर फसल खरीदते थे जिससे किसानों की स्थिति बदतर होती जा रही थी। इस कारण वे अत्यधिक गरीबी से घिर गए । एक विनाशकारी अकाल के बाद अंग्रेजी सरकार ने दमनकारी कर लगा दिए जिनका बोझ दिन प्रतिदिन बढता ही गया । कुल मिलाकर स्थिति बहुत निराशाजनक थी। 

गांधी जी ने जमींदारों के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन और हड़तालों का नेतृत्व किया जिसके बाद गरीब और किसानों की मांगों को माना गया।सन 1918 में गुजरात स्थित खेड़ा बाढ़ और सूखे की चपेट में आ गया था जिसके कारण किसान और गरीबों की स्थिति बदतर हो गयी और लोग कर माफ़ी की मांग करने लगे। खेड़ा गाँधी जी के मार्गदर्शन में सरदार पटेल ने अंग्रेजों के साथ इस समस्या पर विचार विमर्श के लिए किसानों का नेतृत्व किया। इसके बाद अंग्रेजों ने राजस्व संग्रहण से मुक्ति देकर सभी कैदियों को रिहा कर दिया। इस प्रकार चंपारण और खेड़ा के बाद गांधी की ख्याति देश भर में फैल गई और वह स्वतंत्रता आन्दोलन के एक महत्वपूर्ण नेता बनकर उभरे।

खिलाफत आन्दोलन

कांग्रेस के अन्दर और मुस्लिमों के बीच अपनी लोकप्रियता बढ़ाने का मौका गाँधी जी को खिलाफत आन्दोलन के जरिये मिला। खिलाफत एक विश्वव्यापी आन्दोलन था जिसके द्वारा खलीफा के गिरते प्रभुत्व का विरोध सारी दुनिया के मुसलमानों द्वारा किया जा रहा था। प्रथम विश्व युद्ध में पराजित होने के बाद ओटोमन साम्राज्य विखंडित कर दिया गया था जिसके कारण मुसलमानों को अपने धर्म और धार्मिक स्थलों के सुरक्षा को लेकर चिंता बनी हुई थी।  भारत में खिलाफत का नेतृत्व ‘आल इंडिया मुस्लिम कांफ्रेंस’ द्वारा किया जा रहा था। धीरे-धीरे गाँधी इसके मुख्य प्रवक्ता बन गए। भारतीय मुसलमानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए उन्होंने अंग्रेजों द्वारा दिए सम्मान और मैडल वापस कर दिया। इसके बाद गाँधी न सिर्फ कांग्रेस बल्कि देश के एकमात्र ऐसे नेता बन गए जिसका प्रभाव विभिन्न समुदायों के लोगों पर था।

असहयोग आन्दोलन

गाँधी जी का मानना था की भारत में अंग्रेजी हुकुमत ‘भारतियों के सहयोग से ही संभव हो पाई थी और अगर हम सब मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ हर बात पर असहयोग करें तो आजादी संभव है। गाँधी जी की बढती लोकप्रियता ने उन्हें कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता बना दिया था और अब वह इस स्थिति में थे कि अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग, अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार जैसे अस्त्रों का प्रयोग कर सकें। इसी बीच जलियावाला नरसंहार ने देश को भारी आघात पहुंचाया जिससे जनता में क्रोध और हिंसा की ज्वाला भड़क उठी थी।

अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार

गांधी (Mahatma Gandhi) जी ने स्वदेशी नीति का आह्वान किया जिसमें विदेशी वस्तुओं विशेषकर अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करना था। उनका कहना था कि सभी भारतीय अंग्रेजों द्वारा बनाए वस्त्रों की अपेक्षा हमारे अपने लोगों द्वारा हाथ से बनाई गई खादी पहनें। उन्होंने पुरूषों और महिलाओं को प्रतिदिन सूत कातने के लिए कहा। इसके अलावा महात्मा गाँधी ने ब्रिटेन की शैक्षिक संस्थाओं और अदालतों का बहिष्कार, सरकारी नौकरियों को छोड़ने तथा अंग्रेजी सरकार से मिले तमगों और सम्मान को वापस लौटाने का भी अनुरोध किया।

स्वराज और नमक सत्याग्रह

असहयोग आन्दोलन को अपार सफलता मिल रही थी जिससे समाज के सभी वर्गों में जोश और भागीदारी बढ गई लेकिन फरवरी 1922 में इसका अंत चौरी-चौरा कांड के साथ हो गया। इस हिंसक घटना के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। उन्हें गिरफ्तार कर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया जिसमें उन्हें छह साल कैद की सजा सुनाई गयी। ख़राब स्वास्थ्य के चलते उन्हें फरवरी 1924 में सरकार ने रिहा कर दिया।

असहयोग आन्दोलन के दौरान गिरफ़्तारी के बाद गांधी जी फरवरी 1924 में रिहा हुए और सन 1928 तक सक्रिय राजनीति से दूर ही रहे। इस दौरान वह स्वराज पार्टी और कांग्रेस के बीच मनमुटाव को कम करने में लगे रहे और इसके अतिरिक्त अस्पृश्यता, शराब, अज्ञानता और गरीबी के खिलाफ भी लड़ते रहे।

नमक सत्याग्रह आंदोलन कब हुआ

इसी समय अंग्रेजी सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में भारत के लिए एक नया संवेधानिक सुधार आयोग बनाया पर उसका एक भी सदस्य भारतीय नहीं था जिसके कारण भारतीय राजनैतिक दलों ने इसका बहिष्कार किया। इसके पश्चात दिसम्बर 1928 के कलकत्ता अधिवेशन में गांधी (Mahatma Gandhi) जी ने अंग्रेजी हुकुमत को भारतीय साम्राज्य को सत्ता प्रदान करने के लिए कहा और ऐसा न करने पर देश की आजादी के लिए असहयोग आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार रहने के लिए भी कहा।

अंग्रेजों द्वारा कोई जवाब नहीं मिलने पर 31 दिसम्बर 1929 को लाहौर में भारत का झंडा फहराया गया और कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 का दिन भारतीय स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया। इसके पश्चात गांधी जी ने सरकार द्वारा नमक पर कर लगाए जाने के विरोध में नमक सत्याग्रह चलाया जिसके अंतर्गत उन्होंने 12 मार्च से 6 अप्रेल तक अहमदाबाद से दांडी, गुजरात, तक लगभग 388 किलोमीटर की यात्रा की। इस यात्रा का उद्देश्य स्वयं नमक उत्पन्न करना था। इस यात्रा में हजारों की संख्या में भारतीयों ने भाग लिया और अंग्रेजी सरकार को विचलित करने में सफल रहे। इस दौरान सरकार ने लगभग 60 हज़ार से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा।

गांधी-इरविन संधि

इसके बाद लार्ड इरविन के प्रतिनिधित्व वाली सरकार ने गांधी जी के साथ विचार-विमर्श करने का निर्णय लिया जिसके फलस्वरूप गांधी-इरविन संधि पर मार्च 1931 में हस्ताक्षर हुए। गांधी-इरविन संधि के तहत ब्रिटिश सरकार ने सभी राजनैतिक कैदियों को रिहा करने के लिए सहमति दे दी। इस समझौते के परिणामस्वरूप गांधी कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया परन्तु यह सम्मेलन कांग्रेस और दूसरे राष्ट्रवादियों के लिए घोर निराशाजनक रहा। इसके बाद गांधी फिर से गिरफ्तार कर लिए गए और सरकार ने राष्ट्रवादी आन्दोलन को कुचलने की कोशिश की।

1934 में गांधी (Mahatma Gandhi) ने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों के स्थान पर अब ‘रचनात्मक कार्यक्रमों’ के माध्यम से ‘सबसे निचले स्तर से राष्ट्र के निर्माण पर अपना ध्यान लगाया। उन्होंने ग्रामीण भारत को शिक्षित करने, छुआछूत के ख़िलाफ़ आन्दोलन जारी रखने, कताई, बुनाई और अन्य कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने और लोगों की आवश्यकताओं के अनुकूल शिक्षा प्रणाली बनाने का काम शुरू किया।

हरिजन आन्दोलन’

दलित नेता बी आर अम्बेडकर की कोशिशों के परिणामस्वरूप अँगरेज़ सरकार ने अछूतों के लिए एक नए संविधान के अंतर्गत ‘पृथक निर्वाचन मंजूर कर दिया था। येरवडा जेल में बंद गांधीजी ने इसके विरोध में सितंबर 1932 में छ: दिन का उपवास किया और सरकार को एक समान व्यवस्था (पूना पैक्ट) अपनाने पर मजबूर किया। अछूतों के जीवन को सुधारने के लिए गांधी जी द्वारा चलाए गए अभियान की यह शुरूआत थी। 8 मई 1933 को गांधी जी ने आत्म शुद्धि के लिए 21 दिन का उपवास किया और हरिजन आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए एक-वर्षीय अभियान की शुरुआत की। अमबेडकर जैसे दलित नेता इस आन्दोलन से प्रसन्न नहीं थे और गांधी जी द्वारा दलितों के लिए हरिजन शब्द का उपयोग करने की निंदा की।

द्वितीय विश्व युद्ध में भारत

द्वितीय विश्व युद्ध के आरंभ में गांधी जी अंग्रेजों को ‘अहिंसात्मक नैतिक सहयोग’ देने के पक्षधर थे परन्तु कांग्रेस के बहुत से नेता इस बात से नाखुश थे कि जनता के प्रतिनिधियों के परामर्श लिए बिना ही सरकार ने देश को युद्ध में झोंक दिया था। गांधी ने घोषणा की कि एक तरफ भारत को आजादी देने से इंकार किया जा रहा था और दूसरी तरफ लोकतांत्रिक शक्तियों की जीत के लिए भारत को युद्ध में शामिल किया जा रहा था। जैसे-जैसे युद्ध बढ़ता गया गांधी जी और कांग्रेस ने ‘भारत छोड़ो” आन्दोलन की मांग को तीव्र कर दिया।

भारत छोड़ो आन्दोलन

‘भारत छोड़ो’ स्वतंत्रता आन्दोलन के संघर्ष का सर्वाधिक शक्तिशाली आंदोलन बन गया जिसमें व्यापक हिंसा और गिरफ्तारी हुई। इस संघर्ष में हजारों की संख्या में स्वतंत्रता सेनानी या तो मारे गए या घायल हो गए और हजारों गिरफ्तार भी कर लिए गए। उन्होंने यह भी कह दिया था कि व्यक्तिगत हिंसा के बावजूद यह आन्दोलन बन्द नहीं होगा। उनका मानना था की देश में व्याप्त सरकारी अराजकता असली अराजकता से भी खतरनाक है। गाँधी जी ने सभी कांग्रेसियों और भारतीयों को अहिंसा के साथ करो या मरो के साथ अनुशासन बनाए रखने को कहा।

कस्तूरबा गांधी का देहांत 

जैसा कि सबको अनुमान था अंग्रेजी सरकार ने गांधी जी और कांग्रेस कार्यकारणी समिति के सभी सदस्यों को मुबंई में 9 अगस्त 1942 को गिरफ्तार कर लिया और गांधी जी को पुणे के आंगा खां महल ले जाया गया जहाँ उन्हें दो साल तक बंदी बनाकर रखा गया। इसी दौरान उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी का देहांत बाद 22 फरवरी 1944 को हो गया और कुछ समय बाद गांधी जी भी मलेरिया से पीड़ित हो गए।

अंग्रेज़ उन्हें इस हालत में जेल में नहीं छोड़ सकते थे इसलिए जरूरी उपचार के लिए 6 मई 1944 को उन्हें रिहा कर दिया गया। आशिंक सफलता के बावजूद भारत छोड़ो आंदोलन ने भारत को संगठित कर दिया और द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक ब्रिटिश सरकार ने स्पष्ट संकेत दे दिया था की जल्द ही सत्ता भारतीयों के हाँथ सौंप दी जाएगी। गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन समाप्त कर दिया और सरकार ने लगभग 1 लाख राजनैतिक कैदियों को रिहा कर दिया।

देश का विभाजन और आजादी

जैसा कि पहले कहा जा चुका है, द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होते-होते ब्रिटिश सरकार ने देश को आज़ाद करने का संकेत दे दिया था। भारत की आजादी के आन्दोलन के साथ-साथ, जिन्ना के नेतृत्व में एक ‘अलग मुसलमान बाहुल्य देश’ (पाकिस्तान) की भी मांग तीव्र हो गयी थी और 40 के दशक में इन ताकतों ने एक अलग राष्ट्र ‘पाकिस्तान’ की मांग को वास्तविकता में बदल दिया था। गाँधी जी देश का बंटवारा नहीं चाहते थे क्योंकि यह उनके धार्मिक एकता के सिद्धांत से बिलकुल अलग था पर ऐसा हो न पाया और अंग्रेजों ने देश को दो टुकड़ों – भारत और पाकिस्तान में विभाजित कर दिया।

गाँधी जी की हत्या – Mahatma Gandhi Death Date

Mahatma Gandhi Death Date – 30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) की दिल्ली के ‘बिरला हाउस’ में शाम 5:17 पर हत्या कर दी गयी। गाँधी जी एक प्रार्थना सभा को संबोधित करने जा रहे थे जब उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे ने उबके सीने में 3 गोलियां दाग दी। ऐसे माना जाता है की ‘हे राम’ उनके मुख से निकले अंतिम शब्द थे। नाथूराम गोडसे और उसके सहयोगी पर मुकदमा चलाया गया और 1949 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गयी

महात्मा गांधी की प्रमुख उपाधियाँ

S.N. उपाधि सम्बोधनकर्ता / समय
1 राष्ट्रपिता सुभाष चन्द्र बोस
2 मलंग बाबा कालियो द्वारा
3 कैसर-ए-हिन्द प्रथम विश्व युद्ध के समय
4 कुली बैरिस्टर दक्षिण अफ्रीका के अंग्रेज मजिस्ट्रेट
5 भिखारियों का राजा मालवीय – पं. मदन मोहन
6 कर्मवीर दक्षिण अफ्रीका के सहयोगी
7 वन मैन बाउंड्री फोर्स लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा
8 अर्द्धनग्न फकीर विंस्टन चर्चिल
9 देशद्रोही फकीर विंस्टन चर्चिल
10 बापू सी. एफ एंडूज व जवाहरलाल नेहरू
11 आधुनिक युग के अज्ञात शत्रु डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
12 सेवाग्राम का संत आश्रम के अतिथियों द्वारा
13 भंगी शिरोमणि दक्षिण अफ्रीका के प्रवास के दौरान
14 भर्ती करने वाला सार्जेंट प्रथम विश्व युद्ध के समय
15 महात्मा रवीन्द्रनाथ टैगोर
महात्मा गांधी की प्रमुख उपाधियाँ

महात्मा गांधी की पुस्तकों के नाम

Mahatma Gandhi Biography in Hindi- महात्मा गांधी ने अनेक पुस्तकें लिखीं थीं, जो उनके विचारों और दर्शन को दर्ज करती हैं। यहाँ पर कुछ महत्वपूर्ण महात्मा गांधी की पुस्तकों के नाम हैं जो निचे निम्नलिखित है 

  • हिन्दी स्वराज्य (Hind Swaraj)
  • सत्यार्थ प्रकाश (The Story of My Experiments with Truth)
  • अहिंसा के नये रूप (The New Way of Nonviolence)
  • हिन्द स्वराज का मूल सिद्धांत (The Fundamental Principles of Swaraj)
  • नवजीवन (Young India)
  • हिन्दी में तालिम (Basic Education)
  • हिन्दी के प्रति मेरा अधिकार (My Rights and Duties)
  • सर्वोदय (Sarvodaya)
  • हिन्दी स्वदेशी चिंतन (Swadeshi Chintan)
  • सत्यग्रही के स्वप्न (Satyagrahi’s Dream)
  • दुर्गा अष्टमी का उपवास (Fasting for Durga Ashtami)
  • भूखमरी का दर्द (The Agony of Hunger)
  • गीता एक खोज (An Autobiography or The Story of My Experiments with Truth)
  • मेरी अनुभवगत कथाएँ (My Experiments with Truth – Autobiographical Narratives)
  • आपत्तियों का निवारण (Solution to Disputes)
  • आपदा में देवी (The Message of God and the Service of Man)
  • गोपनीय संवाद (Gopniya Sambad – Confidential Dialogues)
  • सत्यग्रह आणि अहिंसा (Satyagraha and Nonviolence)
  • जीवन की राहें (The Ways of Life)
  • भारतीय संगीत (Indian Music)
  • सर्वोदय के सिद्धांत (The Principles of Sarvodaya)
  • ब्रह्मचर्य के महत्व (The Importance of Brahmacharya)
  • सत्यग्रह के मार्ग पर (On the Path of Satyagraha)
  • सत्यग्रह के तत्व (Essentials of Satyagraha)
  • भूखमरी की समस्या (The Problem of Bhoodan)
  • जीवन और समर्पण (Life and Mission)
  • भूखी आत्मा (Hungry Soul)
  • नायक के स्वप्न (The Dreamer of Dreams)
  • दिनचर्या और आदर्श (Dinacharya and Adarsh)
  • सार्वजनिक दरबार (Public Court)

महात्मा गांधी निबंध 10 लाइन – Mahatma Gandhi Biography in Hindi

  • महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था.

  • उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था.

  • उन्हें “बापू” के नाम से भी जाना जाता है, जो पाक्षिक जीवन के लिए थे।

  • महात्मा गांधी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता के रूप में जाना जाता है.

  • गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में रहकर भी अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से उन्होंने उस समाज में भी बदलाव लाने का प्रयास किया.

  • उन्होंने चारखा, जलियांवाला बाग, खिलाफत आंदोलन, और स्वदेशी आंदोलन जैसे प्रमुख आंदोलनों में भाग लिया

  • महात्मा गांधी का प्रमुख स्लोगन था “सत्यमेव जयते” (सत्य ही विजयी होता है)।

  • महात्मा गांधी के महान कार्यों और आदर्शों के कारण उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में भारत में सम्मानित किया गया.

  • उनकी मृत्यु 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में हुई, जिसके बाद उन्होंने अस्थियों को यमुना नदी में बहाने की इच्छा व्यक्त की थी

  • उनके मृत्यु तिथि को भारत में “गांधी जयंती” के रूप में मनाया जाता है, जिसके अवसर पर सड़कों पर समारोह और सेवा कार्यक्रम होते हैं।

महात्मा गांधी के आदर्श और योगदान ने विश्व भर के स्वतंत्रता संग्रामों पर भी प्रभाव डाला और उनके विचारों ने आज भी विश्व में अच्छे नेतृत्व का प्रतीक बनाया है। Mahatma Gandhi Biography in Hindi


Gandhi Jayanti Quotes in Hindi

  1. स्वयं को जानने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है स्वयं को औरों की सेवा में डुबो देना।

     

  2. हमें आपसी बैर-बदल को छोड़ना होगा और समाज में एकता को बढ़ावा देना होगा।

     

  3. कुछ करने में या तो उसे प्रेम से करें या उसे कभी करें ही नहीं।

     

  4. अहिंसा का मार्ग ही सही मार्ग है, और यह एक सशक्त शक्ति है।

     

  5. कुछ लोग सफलता के केवल सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं।

     

  6. सत्याग्रह का मार्ग हमें हमेशा सही दिशा में ले जाता है।

     

  7. श्रद्धा का अर्थ है आत्मविश्वास और आत्मविश्वास का अर्थ है ईश्वर में विश्वास।

     

  8. सत्य में ही आत्मा की शक्ति है, और सत्य के प्रति हमारा आदर्श होना चाहिए।

     

  9. अपनी गलती को स्वीकारना झाडू लगाने के समान है, जो धरातल की सतह को चमकदार और साफ कर देती है।

     

  10. भूल करने में पाप तो है ही, परंतु उसे छुपाने में उससे भी बड़ा पाप है।

     

  11. स्वतंत्रता का अर्थ है समाज के सभी वर्गों के लिए समान अधिकार और न्याय

     

  12. जब तक आप खुद को नहीं बदल सकते, तब तक आप समाज को नहीं बदल सकते।

     

  13. हमें अपने कार्यों में समर्पित रहना चाहिए, चाहे वो छोटे या बड़े क्यों ना हों।

     

  14. आत्मा की शक्ति को जाग्रत करने के लिए आपको अपने दुखों से गुजरना होगा।

     

  15. सत्य कभी भी हार नहीं सकता, और झूठ कभी भी जीत नहीं सकता।

  16. Mahatma Gandhi Biography in Hindi 

Conclusion

तो दोस्तों आशा करता हूं आपको  महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Mahatma Gandhi Biography in Hindi) के बारे में अच्छे से जानकारी मिल गई होगी अगर यह पोस्ट अच्छा लगा होगा और यह पोस्ट पढ़ने के बाद आप भी महात्मा गांधी की जीवनी (mahatma gandhi ka jivan parichay) जान गए होंगे और भी अधिक जानकारी के लिए आप हमें कमेंट भी कर सकते हैं इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद All THE BEST जय हिंद जय भारत

 

Rate this post

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button